51 शक्तिपीठों में से एक माता हरसिद्धि का मंदिर महाकाल मंदिर से पश्चिम की ओर प्राचीन रूद्रसागर के पार ऊँचे स्थान पर स्थित है। हरसिद्धि माता मंदिर उज्जैन के देवी मंदिरों में शहर का एक महत्वपूर्ण मंदिर है। इस जगह का पुराणों में बहुत महत्व है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शिव सती के शरीर को ले जा रहे थे, तब उसकी कोहनी इस जगह पर गिरी थी। माना जाता है कि माता हरसिद्धि सुबह गुजरात के हरसद गांव स्थित हरसिद्धि मंदिर जाती है तथा रात्रि विश्राम के लिए शाम को उज्जैन स्थित मंदिर आती है, इसलिए यहां संध्या आरती महत्त्व है । माता हरसिद्धि की साधना से समस्त प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है । इसलिए नवरात्रि में यहां गुप्त साधक साधना करने आते है। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों ओर भैरवजी की मूर्तियां है । गर्भगृह में तीन मूर्तियां है । सबसे ऊपर अन्नपूर्णा, मध्य में हरसिद्धि तथा नीचे माता कालका विराजित है। माँ को तत्कालीन सम्राट और न्यायप्रिय राजा विक्रमादित्य की आराध्य देवी कहा जाता है। किवदंती है कि यहाँ देवी को विक्रमादित्य द्वारा प्रसन्न करने के उद्देश्य से करीब 10 बार अपना शीश चढ़ाया गया है। इस मंदिर का पुनर्निर्माण मराठों के शासनकाल में किया गया था, अतः मराठी कला की विशेषता दीपकों से सजे हुए दो खंभों पर दिखाई देती है। मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुँआ है तथा मंदिर के शीर्ष पर एक सुंदर कलात्मक स्तंभ है। इस देवी को स्थानीय लोगों द्वारा बहुत शक्तिशाली माना जाता है। Description In English (Harsidhhi Mata Temple) One among the shaktipeeths of Hindu Mythology, Harsiddhi Temple, in Ujjain is the abode of numerous Goddesses of Hindu Pantheon. One among the fascinating aspect of this shrine is the structure which is made up of a rock smeared with turmeric paste and vermilion.The temple turns magnificient on the eve of the Navaratri festival, when hundreds of lamps on the 15 feet lamp stand being lit together. Yet another characteristic feature of the marvelous shrine is the presence of Sri Yantra, or nine triangles that represent nine names of Goddess Durga. This lovely shrine also houses images of other goddess also. The famous dark vermilion image of Annapurna, the Goddess of Nourishment, and the idol of Mahasaraswati, the Goddess of Wisdom and Knowledge are significant for their typical Maratha architecture. Once when Shiva and Parvati were alone on Mount Kailash, two demons called Chand and Prachand tried to force their way in. Shiva called upon Chandi to destroy them which she did. Pleased, Shiva bestowed upon her the epithet of 'one who vanquishes all'. The temple was reconstructed during the Maratha period and the two pillars adorned with lamps are special features of Maratha art. These lamps, lit during Navaratri, present a glorious spectacle. There is an ancient well on the premises, and an artistic pillar adorns the top of it. This temple occupies a special place in the galaxy of ancient sacred spots of Ujjain.
माँ हरसिद्धि मंदिर की दीपमाला के दिव्य दर्शन | Harsidhhi Mata Temple (Deep Jyoti Stambh) Ujjain - YouTube | |
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People & Blogs | Upload TimePublished on 31 Mar 2017 |
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