प्रश्न : क्या कभी क्रोध नहीं करना चाहिए? श्री श्री रवि शंकर : ऐसा मत सोचो कि तुम सब को हर समय क्रोध से मुक्त होना चाहिये। ज़रूरत पड़ने पर क्रोध को एक औज़ार की तरह प्रयोग करो। मैं ऐसा करने का प्रयत्न करता था, पर बहुत सफल नहीं रहा। कभी कभी मैं अपना क्रोध दिखाने का प्रयत्न करता हूं, पर इससे कोई फ़ायदा नहीं होता क्योंकि मुझे जल्दी ही हंसी आ जाती है और बाकी सब लोग भी साथ में हंसने लगते हैं। लोग विश्वास ही नहीं करते कि मैं गुस्सा हूं। पर, कभी कभी क्रोध अच्छा होता है। ख़ासतौर पर जब दुनिया में भ्रष्टाचार है, अन्याय है, और हर तरह के लोग हैं जो हर तरह के ग़लत काम करते हैं और तुम्हारा फ़ायदा उठाते हैं। ऐसी स्थिति में ये आवश्यक है कि तुम थोड़ा भंवों को चढ़ाओ, गुस्सा दिखाओ, ये अच्छा रहेगा। पर ये ख़्याल रखना कि तुम गुस्सा दिखाओ पर उसे अपने हृदय में मत उतारो, परेशान मत हो। देखो, ऐसा एक ही दिन में नहीं हो जाता है, और यहीं पर साधना से मदद मिलती है। हां, मैं ये नहीं कह रहा हूं कि सब्जी की तरह बन जाओ, या मानसिक रूप से अविक्सित व्यक्ति बन जाओ, हमेशा मुस्कुराओ और कभी परेशान ही मत हो – जब स्थिति की मांग हो, तो गुस्सा दिखाओ। पर कभी भी उस क्रोध को अपने मन में नफ़रत की सड़ान्ध मत बनने दो। क्रोध को क्षणिक ही रखो। तुम्हें पता है स्वस्थ क्रोध क्या है? पानी की सतह पर लकीर खींचो तो वो कितनी देर टिकती है? बस उतनी ही देर क्रोध टिके तो वो स्वस्थ क्रोध है। अगर क्रोध क्षणिक है और उस पर तुम्हारा नियंत्रण है तो वो स्वस्थ क्रोध है, और तुम ठीक हो। तुम गुस्सा हो सकते हो, पर गुस्सा तुम पर हावी ना हो जाये। अक्सर क्या होता है कि क्रोध तुम पर हावी हो जाता है और तुम मुश्किल में पड़ जाते हो। ज्ञान इसका विरोधात्मक है। समझे? तुम छुरी का प्रयोग करो पर छुरी तुम्हारा प्रयोग ना करे! जय गुरुदेव
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People & Blogs | Upload TimePublished on 2 Sep 2017 |
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