
इंदौर. अनंत चतुर्दशी पर इंदौर की गौरवशाली परंपरा एक बार फिर जीवंत हो उठी। झिलमिल रोशनी के बीच 30 से ज्यादा झांकियों और 80 से अधिक अखाड़ों का कारवां सूरज डूबते ही जैसे शुरू हुआ तो ऐसा लगा जैसे रात में ही दिन हो गया हो। रंग-बिरंगे बल्बों और संगीत की लहरियों पर नाचती-गाती कलाकारों की कल्पनाओं ने हजारों लोगों का मन मोह लिया। किसी में पर्यावरण का संदेश दिया गया तो किसी में हमारी पौराणिकता से युवाओं को रूबरू करवाया। शहर की शान रहीं मिलें आज भले ही बंद हो चुकी हैं, लेकिन इन्हीं मिलों ने आज से नौ दशक पहले जिस झिलमिलाती परंपरा की नींव डाली थी, 92वें साल में वही परंपरा और जवां हो गई है। मजदूरों ने इतने सालों में चाहे जितने कष्ट सहे हों, उनके हौसले कभी नहीं डिगे। शायद यही वजह है, साल-दर-साल झांकियों का कारवां निखरता ही जा रहा है। अलग-अलग कल्पनाओं में रची-बसी परंपरा जब शहर की सड़कों पर मंगलवार की रात निकली तो मानो ऐसा लगा, जैसे रंगबिरंगे सितारे मां अहिल्या के आंगन में उतर आए हों। एक ओर अगर मजदूरों का हौसला है तो उनकी हौसला अफजाई के लिए शहरवासियों ने भी कभी कसर नहीं छोड़ी। यही वजह है कि समारोह में हर बार पैर रखने की जगह भी नहीं मिलती।
इंदौर की झिलमिलाती मनमोहक झांकियां |
Indore Jhanki (Ganesh Visarjan Chal Samaroh) 2017 - YouTube |
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People & Blogs | Upload TimePublished on 7 Sep 2017 |
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