बिहार के बक्सर में एक ऐसा मंदिर है, जहां दशकों से आरती में कुत्ते नियमित रूप से भाग लेते हैं। 1965 में इस मंदिर का निर्माण हुआ। तभी से इस काली मंदिर में सुबह और शाम की रस्मों में कुत्तों की शिरकत होती रही है। प्रार्थना शुरू होने से पहले आसपास के सभी कुत्ते मंदिर के दरवाजे के सामने खड़े हो जाते हैं। शंख, ध्वनि और झाल-मंजीरे की आवाज के बीच कुत्तों के भौंकने की आवाज जब घुल-मिल जाती है, तो प्रार्थना का स्वरूप अनूठा हो जाता है। बरसों से यही परंपरा चली आ रही है। मंदिर के एक पुजारी ओम प्रकाश पांडे कहते हैं कि सभी जीव-जंतु ईश्वर की संतान हैं। कुत्ते तो इंसान के वफादार साथी रहे हैं। बाहरी लोगों को भले ही प्रार्थना में कुत्तों की भागीदारी पर हैरत होती हो, लेकिन यह परंपरा पिछले 40 सालों से भी अधिक समय से चली आ रही है। एक भक्त महावीर सिंह कहते हैं कि जैसे ही शंख ध्वनि के साथ प्रार्थना शुरू होती है और भक्त झूमने लगते हैं। कुत्ते भी भौंक-भौंक कर अपनी आस्था प्रकट करते हैं। दर्जनों कुत्ते अपना सिर उठा कर जोर-जोर से प्रार्थना के वक्त भौंकते हैं। प्रार्थना में भाग लेने वाले अधिकांश कुत्ते मंदिर के इर्द-गिर्द घूमते रहते हैं। एक भक्त ने कहा कि कुत्तों को सुबह और शाम होने वाली प्रार्थना का वक्त मालूम है। वे प्रार्थना से पहले मंदिर परिसर में आ धमकते हैं। उन्हें भक्तों द्वारा प्रसाद खिलाया जाता है। सबसे अहम बात यह है कि ये कुत्ते मंदिर परिसर में किसी भी भक्त के साथ शरारत नहीं करते। वीडियो अच्छा लगा हो तो लाइक करें और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूलें। धन्यवाद
एक मंदिर ऐसा भी जहां कुत्ते भी गाते हैं आरती - YouTube | |
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People & Blogs | Upload TimePublished on 2 Sep 2018 |
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